“रिश्तों की खोखली होती बुनियाद”!

अपने आत्म-सम्मान और मन की शांति को हमेशा प्राथमिकता देना बेहद ज़रूरी है। जब रिश्तों में आपको वह इज़्ज़त नहीं मिलती जिसके आप हकदार हैं, तो बिना अंतहीन दर्द झेले उनसे दूर हो जाना ही समझदारी है।
यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि कुछ रिश्ते हमें बनाने के बजाय, धीरे-धीरे अंदर से खोखला करते रहते हैं। यदि कोई रिश्ता बार-बार आपके आत्म-सम्मान को ठेस पहुँचाता है, तो सब कुछ कुर्बान करके उसे ज़िंदा रखने की कोशिश करना बिल्कुल भी उचित नहीं है। उस चीज़ का शोक क्यों मनाना जो कभी आपकी थी ही नहीं?
हम अक्सर यह सोचकर अपमान सहते रहते हैं कि हम रिश्ते को बचा रहे हैं। लेकिन ईमानदारी से कहूँ तो, हम केवल अपने आत्म-मूल्य को नुकसान पहुँचा रहे होते हैं।
 एक ऐसा समय आता है जब आप उन रिश्तों में खुद को इतना झोंक देते हैं कि आप पूरी तरह खोखले हो जाते हैं  और तब तक, रिश्ता शायद रेत की तरह हाथों से फिसल चुका होता है।
 
ऐसे रिश्तों से बिना किसी भावनात्मक बोझ के खुद को आज़ाद करना एक बहुत ही समझदारी भरा कदम है। यह हार मानने का संकेत नहीं है; यह आपकी आत्म-देखभाल और आत्म-प्रेम का प्रमाण है। जब आप उन रिश्तों को छोड़ने का फैसला करते हैं जो आपको महत्व नहीं देते, तो आप वास्तव में अपने लिए एक स्वस्थ और खुशहाल भविष्य का दरवाज़ा खोल रहे होते हैं।
हमेशा याद रखें, आपका आत्म-सम्मान अनमोल है। इसे कभी भी किसी भी रिश्ते में मोलभाव का ज़रिया न बनने दें। असली बुद्धिमत्ता इसी को पहचानने और सही समय पर सही कदम उठाने में है।

9 thoughts on ““रिश्तों की खोखली होती बुनियाद”!”

  1. Nice thoughts…true relation does not require any negotiation on behalf of your respect…Its always to get exit out from these burdened relation …

    Really heart touching post ..keep growing

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  2. Nice thoughts…true relation does not require any negotiation on behalf of your respect…Its always beneficial to get exit out from these burdened relation …

    Really heart touching post ..keep growing

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