योग: सिर्फ़ आसन नहीं, जीवन से जुड़ने की कला
योग मतलब जोड़ अब सवाल ये आता है कि कैसा जोड़? तो इसका एक सीधा सा जबाब है सेहत की तरफ़ एक जोड़, खुशियों की तरफ़, स्वास्थ्य की तरफ़ एक कदम । यह शब्द योग की आत्मा को छूता है। यह सिर्फ़ शारीरिक मुद्राओं का अभ्यास नहीं है, बल्कि स्वयं से स्वयं को जोड़ने की एक कला है। यह बाहरी दुनिया से कटकर भीतर झाँकने का माध्यम है, जहाँ हम अपनी वास्तविक प्रकृति से मिलते हैं। योग का अर्थ है सेहत की तरफ एक सचेत कदम, खुशियों की तरफ एक स्वास्थ्यपूर्ण प्रयाण – क्योंकि अंततः, हमारा भौतिक शरीर ही वह मंदिर है जिसमें हमारी आत्मा निवास करती है।
यह बिल्कुल सही कहा गया है कि “एक स्वस्थ शरीर हज़ार नियामतों का आधार होता है।” सोचिए, जब शरीर स्वस्थ होता है, तो मन भी प्रसन्न रहता है। सुबह उठकर सूरज की किरणों को देखना, चिड़ियों का चहचहाना सुनना, फूलों की भीनी-भीनी महक महसूस करना – सब कुछ हमें अपनी तरफ आकर्षित करता है। जीवन एक उत्सव जैसा प्रतीत होता है, जहाँ हर पल आनंद और ऊर्जा से भरा होता है। हम हर चुनौती का सामना मुस्कुराते हुए करते हैं, और हर सफलता का जश्न पूरे उत्साह से मनाते हैं।
लेकिन, यदि दुर्भाग्यवश आप बीमारी के जाल में फँस जाते हैं, तो बाहर की हर चीज़ आपको मुँह चिढ़ाती लगेगी। वही सूरज की किरणें आँखों में चुभेंगी, चिड़ियों का चहचहाना शोर लगेगा, और फूलों की महक बेचैनी बढ़ाएगी। मन में सिर्फ़ थकान, कमज़ोरी और क्रोध ही स्थायी साथी बन जाएँगे। आप हर छोटी बात पर चिड़चिड़ाने लगेंगे, आपकी ऊर्जा का स्तर लगातार गिरता जाएगा, और जीवन की उमंग कहीं खो जाएगी। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि बीमारी कभी अकेली नहीं आती; वह अपने साथ अपने ‘भाई-बंधु’ यानी एक के बाद एक कई बीमारियों को लेकर आती है। यह एक ऐसा दुष्चक्र होता है जिससे बहुत ही कम लोग बच पाते हैं; ज़्यादातर लोग इनके आगे घुटने टेक देते हैं, और जीवन की वास्तविक खुशियों से वंचित रह जाते हैं।
जीवन एक अनमोल उपहार: इसकी हिफ़ाज़त हमारा परम धर्म
ईश्वर ने हमें यह अनमोल जीवन एक वरदान के रूप में दिया है – एक ऐसा उपहार जिसकी कोई कीमत नहीं आँकी जा सकती। इसकी हिफ़ाज़त करना, इसे सँवारना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है, हमारा परम धर्म है। अपनी जीवनशैली में छोटे-छोटे, लेकिन सार्थक सुधार लाकर हम एक खुशहाल, संतुलित और पूर्ण जीवन जी सकते हैं। ये छोटे कदम, जब नियमित रूप से और ईमानदारी से उठाए जाते हैं, तो एक दिन स्वास्थ्य के प्रति एक विशाल छलाँग साबित होते हैं। यह ठीक वैसा ही है जैसे रोज़ एक-एक बूंद से घड़ा भरता है, और फिर वह बूंदें एक विशाल जलराशि का रूप ले लेती हैं।लेकिन, दुख की बात है कि कुछ लोग इतने लापरवाह हो गए हैं कि वे अपनी जिह्वा से ही अपनी कब्र खोदने पर जुट गए हैं। वे बिना सोचे-समझे, अपनी स्वादेंद्रियों के गुलाम बनकर, जितना भी उल्टा-पुल्टा हो, सब खा लेते हैं। उन्हें इस बात का एहसास भी नहीं होता कि उनके शरीर पर इसका क्या गंभीर और दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा। बस क्षणिक स्वाद और आनंद के लिए वे अपने स्वास्थ्य को दरकिनार कर देते हैं, जैसे कोई कीमती हीरा फेंक कर कंकड़-पत्थर बटोर रहा हो। यह एक अदृश्य आत्मघाती कदम है जो धीरे-धीरे हमारे शरीर को अंदर से खोखला कर देता है, हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमज़ोर करता है, और हमें बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है।
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: खुशहाल जीवन की अभेद्य दीवार
अगर हम चाहते हैं कि हम एक खुशहाल, पूर्ण जीवन जिएँ, तो हमें शारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य का समान रूप से ध्यान रखना होगा। ये दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, और एक के बिना दूसरा अधूरा है। स्वस्थ शरीर के लिए योग अनिवार्य है – आसन, प्राणायाम, शुद्धिकरण क्रियाएँ – जो हमारे शरीर को लचीला, मज़बूत और ऊर्जावान बनाती हैं। वहीं, मन की शांति, एकाग्रता और आंतरिक संतुलन के लिए मेडिटेशन (ध्यान) बेहद ज़रूरी है। यह हमें विचारों के कोलाहल से मुक्ति दिलाकर, आंतरिक शांति की गहराई में ले जाता है।
इसका लाभ एक दिन में नहीं मिलेगा; यह कोई जादू नहीं, बल्कि एक धीमी, लेकिन निश्चित प्रक्रिया है, जिसमें धैर्य और निरंतरता की आवश्यकता होती है। परंतु, नियमित और सच्चे अभ्यास से एक समय ऐसा आएगा कि आपके ये छोटे-छोटे कदम आपके जीवन को अभूतपूर्व सफलता, अपार प्रसन्नता और स्थायी समृद्धि से भर देंगे। आप महसूस करेंगे कि कैसे आपका शरीर और मन एक harmonious तालमेल में काम कर रहे हैं, कैसे आप जीवन की हर चुनौती का सामना अधिक कुशलता और शांति से कर पा रहे हैं।
इसलिए, समय रहते चेत जाने से ही सब कुछ सही हो जाता है। कोई भी अच्छा काम करने के लिए सबसे अच्छा समय तुरंत शुरू कर देना है। कल किसने देखा है? आज योग दिवस है, जब सारा विश्व इसे बड़े धूमधाम से मना रहा है। यह एक वैश्विक जागृति का प्रतीक है। तो इसी के साथ आप भी संकल्प लें। अपने लिए, अपने स्वास्थ्य के लिए, अपनी खुशियों के लिए – आज से ही इस सुंदर नींव को डाल दें। अपने भीतर के उस प्रकाश को जगाएँ जो आपको एक पूर्ण, स्वस्थ और आनंदमय जीवन की ओर ले जाएगा। यह सिर्फ़ एक व्यायाम नहीं, एक जीवनशैली है, एक आध्यात्मिक यात्रा है, एक ऐसा मार्ग है जो हमें अपनी पूर्ण क्षमता का अनुभव कराता है। by Aruna Shaibya