जगन्नाथ धाम : विज्ञान भी नतमस्तक

“जगन्नाथ धाम की हर संरचना, हर परंपरा, एक गहरा रहस्य समेटे हुए है। यहाँ विज्ञान के नियम नहीं, बल्कि प्रभु की अलौकिक शक्ति चलती है।”

अलौकिक जगन्नाथ धाम: जहाँ आस्था, रहस्य और विस्मय का संगम होता है. (part 1)

नमस्ते दोस्तों!

भारत की पावन धरा रहस्यों और अविश्वसनीय कथाओं से ओत-प्रोत है, और इस विशाल देश के पूर्वी क्षितिज पर, ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर इन्हीं शाश्वत गाथाओं का एक जीता-जागता प्रमाण है। यह केवल एक धार्मिक संरचना नहीं, बल्कि करोड़ों हृदयंगम आस्थाओं का केंद्र, एक ऐसा पवित्र धाम जहाँ आध्यात्मिकता और चमत्कार एक दूसरे में समाहित होकर एक अद्भुत ऊर्जा का सृजन करते हैं। इसकी अप्रतिम वास्तुकला, गहन धार्मिक मान्यताएँ और विस्मयकारी घटनाएँ इसे विश्व पटल पर अद्वितीय बनाती हैं।

हम में से अधिकांश ने इस मंदिर से जुड़ी अविश्वसनीय कथाओं की आहट तो सुनी ही होगी। कुछ इन्हें अटल श्रद्धा से सत्य मानते हैं, तो कुछ तथाकथित ‘तार्किकता’ के कवच में लिपटकर इन्हें अंधविश्वास का जामा पहनाते हुए खंडन करते हैं। लेकिन यहाँ एक रोचक विरोधाभास है: ये खंडन करने वाले भी इस मंदिर की अलौकिक घटनाओं का कोई ठोस, अकाट्य उत्तर प्रस्तुत नहीं कर पाते। वे कुतर्क की तलवार तो चला सकते हैं, पर उनके पास कोई सुसंगत, तार्किक प्रतिवाद नहीं होता। निस्संदेह, हमें अपने जीवन में अंधविश्वासों को प्रश्रय नहीं देना चाहिए, किंतु साधना की आध्यात्मिक शक्ति और ब्रह्मांड की अलौकिक व्यवस्था को सिरे से नकारना भी एक प्रकार का बौद्धिक मूढ़ता ही है।

चाहे वैज्ञानिक हों या मनोवैज्ञानिक, सभी ने किसी न किसी रूप में एक अदृश्य शक्ति और ब्रह्मांडीय ऊर्जा के अस्तित्व को स्वीकार किया है; वे दिन-प्रतिदिन घटित हो रहे चमत्कारों के सामने नतमस्तक हुए हैं। फिर कुछ तथाकथित नास्तिक लोगों की व्यर्थ की बातों में आकर अपनी सदियों पुरानी, गहरी जड़ें जमाई आस्था को खंडित करने का प्रश्न ही कहाँ उठता है? आस्था तर्क का नहीं, अपितु विश्वास का विषय है। यदि हम जीवन के हर पहलू पर अविश्वास की तलवार चलाने लगें, तो जीवन की राह दूभर हो जाएगी। जीवन को सहज बनाएं और समृद्धि की ओर अग्रसर हों। एक शांत मस्तिष्क किसी भी जटिल गुत्थी को सुलझाने में सक्षम होता है; अपने विचारों को अशांत न करें, अपनी आस्था पर अडिग रहें और निरर्थक भटकावों से स्वयं को बचाएं।

इन गहन दार्शनिक बातों से परे, आइए अब हम भगवान जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी उन ऐतिहासिक, पौराणिक और रहस्यमयी कथाओं के सागर में गोता लगाते हैं, जो मन में अनेक प्रश्न ज्वालामुखी की तरह उद्घाटित कर देते हैं। इनमें से कुछ प्रश्न ऐसे हैं, जिनका उत्तर जानकर आश्चर्य की सीमाएं टूट जाती हैं। मेरे मस्तिष्क में स्थायी निवास कर चुके कुछ ऐसे ही प्रश्नों के बारे में सबसे पहले जानते हैं, जिनके उत्तर आपको विस्मय में डुबो देंगे।

आइए, पुरी के विस्मयकारी जगन्नाथ धाम से जुड़े कुछ गहरे और अद्भुत रहस्यों पर एक नज़र डालते हैं, जो आपकी जिज्ञासा को और बढ़ा देंगे।

अलौकिक जगन्नाथ धाम के अनसुलझे प्रश्न 

* आखिर कौन हैं भगवान जगन्नाथ? क्या वे सिर्फ कृष्ण का एक रूप हैं, या उनका अवतरण किसी गहरे, कर्म-आधारित रहस्य से जुड़ा है? 

* क्या है जगन्नाथ मंदिर की सम्पूर्ण पौराणिक कथा? क्या यह सिर्फ एक राजा के स्वप्न की कहानी है, या इसके पीछे कोई दैवीय हस्तक्षेप और अप्रत्याशित संघर्ष छिपा है? 

* आखिर क्यों भगवान जगन्नाथ की मूर्ति आधी अधूरी है? क्या यह एक कारीगर की अधूरी शर्त का परिणाम है, या इसके पीछे कोई गहरा दैवीय विधान छिपा है जो हमें अचंभित कर देता है? 

* क्यों होती है भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में इतनी भीड़? क्या यह सिर्फ परंपरा है, या इस महापर्व में मोक्ष की कोई अलौकिक शक्ति निहित है जो लाखों को खींच लाती है? 

* आखिर क्यों भगवान जगन्नाथ का रथ हर बार एक मुस्लिम की मजार के पास रोका जाता है? क्या यह महज एक इत्तेफाक है, या सालबेग नामक उस मुस्लिम भक्त की भक्ति इतनी प्रबल थी कि स्वयं भगवान उसके इंतजार में थम गए?

 * कौन था सालबेग, जिसके इंतजार में सात दिनों तक भगवान जगन्नाथ का रथ रुका रहा? आखिर उस मुस्लिम भक्त में ऐसी क्या विशेषता थी कि तमाम कोशिशों के बाद भी रथ आगे न बढ़ सका?

 * आखिर क्यों भगवान जगन्नाथ 15 दिनों के लिए बीमार पड़ जाते हैं? क्या यह केवल एक अनोखी परंपरा है, या आराध्य अपने भक्तों के दुखों को स्वयं पर लेकर कोई अद्भुत लीला रचते हैं? 

* आखिर क्या है ब्रह्म पदार्थ का रहस्य? क्या यह वाकई श्रीकृष्ण का धड़कता हुआ हृदय है, जिसे छूना या देखना मृत्यु का कारण बन सकता है? 

* आखिर क्यों नहीं पड़ती पुरी मंदिर के शिखर की परछाई? क्या यह वास्तुकला का कोई अलौकिक कमाल है, या कोई अदृश्य शक्ति इसकी छाया को छिपाए रखती है?

 * आखिर क्या है पुरी के रसोई भंडार का रहस्य? कैसे लाखों भक्तों का महाप्रसाद कभी कम नहीं पड़ता और न ही कभी बचता है? क्या यह सिर्फ प्रबंधन है, या कोई दैवीय चमत्कार? 

* आखिर क्या है यमद्वार का रहस्य? क्या तीसरी सीढ़ी पर पैर रखने से सच में बैकुंठ की जगह यमलोक जाना पड़ता है? क्या यह मोक्ष के मार्ग की कोई अबूझ पहेली है?

 * आखिर क्या है जगन्नाथ पुरी मंदिर की ध्वनियों से जुड़ा रहस्य? क्यों सिंहद्वार के अंदर समुद्र की लहरों का शोर अचानक शांत हो जाता है, और बाहर आते ही फिर सुनाई देने लगता है? 

* आखिर क्यों पुरी मंदिर के ऊपर से कोई भी वायुयान नहीं उड़ाया जाता? क्या यह कोई सरकारी नियम है, या कोई अलौकिक ऊर्जा क्षेत्र विमानों को दूर रखता है?

 * आखिर क्यों जगन्नाथ पुरी मंदिर के आसपास कोई भी पक्षी नहीं भटकता? क्या यह महज संयोग है, या कोई अदृश्य सुरक्षा कवच पक्षियों को भी वहां आने से रोकता है? 

* बेड़ी हनुमान मंदिर का जगन्नाथपुरी से क्या है संबंध? आखिर क्यों हनुमान जी को बेड़ियों से बांधा गया है, और इसका मंदिर की सुरक्षा से क्या लेना-देना है?

 * कलियुग के अंत और जगन्नाथपुरी से मिलने वाले संकेतों की आखिर क्या है कहानी? क्या शिखर पर पक्षियों का दिखना या बरगद के पेड़ का गिरना सच में कलयुग के अंत के संकेत हैं? 

* क्या सच में अब कलियुग का अंत निकट आ चुका है? या फिर यह सिर्फ एक मनगढ़ंत कहानी है जो हमें भविष्य मालिका जैसे ग्रंथों के माध्यम से सचेत करती है? 

जगन्नाथ धाम: आस्था का दुर्ग और आक्रमणों की अनकही गाथाएँ

पुरी का जगन्नाथ मंदिर, करोड़ों आस्थावानों का हृदय-स्थल… क्या आप जानते हैं कि इस दिव्य धाम ने अपनी सहस्रों वर्षों की यात्रा में कितने तूफानों का सामना किया है?

कितने आततायियों की काली नज़रें इस पर पड़ीं और कितनी बार इसने उन क्रूर हमलों को झेला?

प्रश्न 1: आस्था के इस अभेद्य दुर्ग पर कितनी बार पड़ीं विधर्मियों की क्रूर नज़रें?क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि जिस मंदिर को स्वयं भगवान का निवास माना जाता है, उसे कितनी बार विधर्मी शक्तियों ने रौंदने का प्रयास किया?

जगन्नाथ धाम ने अपने लंबे इतिहास में ऐसे कितने रक्त-रंजित अध्याय देखे हैं, जहाँ भक्ति और विध्वंस आमने-सामने खड़े थे? यह संख्या सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो सकते हैं!

प्रश्न 2: किन-किन क्रूर शासकों ने इस पावन मंदिर की पवित्रता भंग करने का दुस्साहस किया?कौन थे वे आततायी, जिनके मन में इस महामंदिर को लूटने या नष्ट करने का कुविचार पनपा?

क्या वे केवल लुटेरे थे, या उनकी मंशा सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को मिटाने की थी? इतिहास के पन्नों में किन-किन क्रूर चेहरों के नाम इस विध्वंसकारी सूची में दर्ज हैं?

प्रश्न 3: अकबर का नाम इस संदर्भ में क्यों नहीं आता? क्या मुग़ल शासकों ने जगन्नाथ मंदिर को बख्श दिया था?

जब हम भारत में मंदिरों पर हुए आक्रमणों की बात करते हैं, तो अक्सर मुग़ल शासकों का ज़िक्र होता है। लेकिन क्या यह आश्चर्यजनक नहीं कि इस सूची में अकबर जैसे शक्तिशाली सम्राट का नाम अमूमन नहीं लिया जाता?

क्या अकबर ने वास्तव में जगन्नाथ मंदिर को किसी भी आक्रमण से दूर रखा? यदि हाँ, तो इसके पीछे क्या कारण थे? या फिर, इतिहास के कुछ पन्ने हमें पूरी कहानी नहीं बताते? इस प्रश्न का उत्तर और भी चौंकाने वाला हो सकता है!

कहानी जारी है…(The story continues)

4 thoughts on “जगन्नाथ धाम : विज्ञान भी नतमस्तक”

  1. The post make me dive into the mystics secrets of Jagganath Temple…Wish to go to Jagganath temple after getting answers of all the above questions..

    EXCITED TO SEE WHAT YOU SHARE NEXT 😀😀😀

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